चलें किसी ओर तो ऊजाला करें
बहुत अंधेरा है हर तरफ
ऊजाला ना सही बिखेरो लाली
बहुत अंधेरा है हर तरफ
ऊजाला ना सही बिखेरो लाली
जहां आज हर तरफ है रात काली
कोई उम्मीद की किरन ही दिखा दो
अरसा हुआ पलक झपके, आज सुला दो
ऊगता सुरज ना सही ना सही
कोई डूबता सुर्ख सुरज ही दिखा दो
अपने सपनो की पोटली बाँध
निकला हूँ मैं बचपन से
कोई बूढ़ापे से पहले मेरे
कुछ सपने ही पूरे करा दे
जो ले के आया था सपने मैं आँखे मीचे
कुछ कम करा के ही अपने पास वो खिचे
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